डॉ. गौरी नाथ झा (पूर्णिया) द्वारा लिखित शोध प्रबंध लंबी प्रतीक्षा के बाद 'हिन्दी साहित्य के विकास में पूर्णिया प्रमंडल का योगदान' (प्रथम खंड) शीर्षक से प्रकाशित हो गया है। श्री रतिनाथ पुस्तकालय, पूर्णिया द्वारा यह मुकुल प्रकाशन, नई दिल्ली के सौजन्य से 2012 में प्रकाश में आया है। 1983 में पीएच. डी. की उपाधि के लिए स्वीकृत उनका यह शोधप्रबंध लंबे समय से पाठकों के लिए जिज्ञासा का केन्द्र बना हुआ था। सात अध्यायों में विभक्त यह ग्रंथ द्वितीय अध्याय में प्रस्तुत 176 साहित्यकारों की परिचय-प्रस्तुति के कारण एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ के रूप में हमारे सामने है। कोसी अंचल के साहित्य को लेकर पहले ऐसी कोई कृति प्रकाशित नहीं हुई है, जिसमें एक साथ इतने अधिक साहित्यकारों का परिचय एक साथ हमें उपलब्ध होता हो। यद्यपि 1983 में प्रस्तुत शोध का परिणाम होने के कारण तीस वर्ष प्रकाशित इस पुस्तक में यह बात खटकती है कि ये परिचय-संदर्भ अद्यतन नहीं हैं। यद्यपि लेखक ने कुछेक लेखकों के परिचय अद्यतन करने के प्रयत्न किए हैं, दिवंगत लेखकों के निधन की सूचनाएँ भी दी गई हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं। कुल मिलाकर इसे तीस वर्ष पूर्व तैयार पुस्तक के रूप में ही देखा जाना चाहिए।
पुस्तक का प्रथम अध्याय पूर्णिया प्रमंडल की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक पृष्ठभूमि को समेटे हुए है। द्वितीय अध्याय में पूर्णिया प्रमंडल मे जन्मे 140 तथा इसे अपनी कर्मभूमि बनाने वाले 26 साहित्यकारों के जीवन एवं कृतित्व का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया है। तृतीय अध्याय में बिहार के संदर्भ में पूर्णिया प्रमंडल के साहित्य का काल विभाजन प्रस्तुत किया गया है। चतुर्थ अध्याय में विवेच्य साहित्य पर अन्य भाषाओं (संस्कृत, बांग्ला, उर्दू एवं अंग्रेजी) के साहित्य के प्रभाव का आकलन किया गया है। पंचम अध्याय में समसामयिक लेखन की विविध दिशाओं पर विचार किया गया है। छठा अध्याय मूल्यांकन का है और सातवॉं उपसंहार। परिशिष्ट में उन 225 पुस्तकों की सूची दी गई है, जिनके आधार पर यह पुस्तक तैयार हुई है।
पुस्तक सूचनापरक ज्यादा है, इसका मूल्यांकन पक्ष अपेक्षाकृत संतोषजनक नहीं है। कतिपय लेखकों से संबंधित सूचनाऍं त्रुटिपूर्ण भी हैं, तथापि यह पुस्तक इतनी अधिक जानकारियॉं अपने आप में समेटे हुए है कि संग्रहणीय और पठनीय बन पड़ी है। अस्सी वर्षीय डॉ. गौरी नाथ झा पुस्तक के दूसरे खंड की भी तैयारी में हैं, जिसमें छूटे हुए साहित्यकारों का परिचय वे प्रस्तुत करेंगे। उनका यह जीवट प्रणम्य है।
पुस्तक प्राप्ति के लिए संपर्क सूत्र
श्री रतिनाथ पुस्तकालय, साहबान खूँट, पत्रालय : भटोत्तर चकला, जिला : पूर्णिया 854203 (बिहार)
संपर्क : डॉ. गौरी नाथ झा (मोबाइल : 08677916394)
पुस्तक का प्रथम अध्याय पूर्णिया प्रमंडल की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक पृष्ठभूमि को समेटे हुए है। द्वितीय अध्याय में पूर्णिया प्रमंडल मे जन्मे 140 तथा इसे अपनी कर्मभूमि बनाने वाले 26 साहित्यकारों के जीवन एवं कृतित्व का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया है। तृतीय अध्याय में बिहार के संदर्भ में पूर्णिया प्रमंडल के साहित्य का काल विभाजन प्रस्तुत किया गया है। चतुर्थ अध्याय में विवेच्य साहित्य पर अन्य भाषाओं (संस्कृत, बांग्ला, उर्दू एवं अंग्रेजी) के साहित्य के प्रभाव का आकलन किया गया है। पंचम अध्याय में समसामयिक लेखन की विविध दिशाओं पर विचार किया गया है। छठा अध्याय मूल्यांकन का है और सातवॉं उपसंहार। परिशिष्ट में उन 225 पुस्तकों की सूची दी गई है, जिनके आधार पर यह पुस्तक तैयार हुई है।
पुस्तक सूचनापरक ज्यादा है, इसका मूल्यांकन पक्ष अपेक्षाकृत संतोषजनक नहीं है। कतिपय लेखकों से संबंधित सूचनाऍं त्रुटिपूर्ण भी हैं, तथापि यह पुस्तक इतनी अधिक जानकारियॉं अपने आप में समेटे हुए है कि संग्रहणीय और पठनीय बन पड़ी है। अस्सी वर्षीय डॉ. गौरी नाथ झा पुस्तक के दूसरे खंड की भी तैयारी में हैं, जिसमें छूटे हुए साहित्यकारों का परिचय वे प्रस्तुत करेंगे। उनका यह जीवट प्रणम्य है।
पुस्तक प्राप्ति के लिए संपर्क सूत्र
श्री रतिनाथ पुस्तकालय, साहबान खूँट, पत्रालय : भटोत्तर चकला, जिला : पूर्णिया 854203 (बिहार)
संपर्क : डॉ. गौरी नाथ झा (मोबाइल : 08677916394)