हजारों वर्षों से जिस नदी की धाराएँ निरंतर परिवर्तनशील रही हैं, उस नदी की धाराओं के साथ गतिशील जीवन-जगत की अनुभूतियों का अवगाहन साहित्य के माध्यम से किया जाना सचमुच न केवल दिलचस्प वरन् महत्त्वपूर्ण भी है। लेकिन विध्वंसकारी कोसी ने अपने तटवर्ती जीवन-जगत के साथ संभवत: अधिकांश साहित्यिक विरासत को भी प्राय: निगलने का काम ही किया है। कोसी अंचल के निकटवर्ती नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के विध्वंस (1197 ई.) के कारण भी इस क्षेत्र की ज्ञान और साहित्य विषयक विरासत नष्ट हुई होगी।
Monday, December 28, 2009
'संवदिया' का कोसी केन्द्रित नवलेखन विशेषांक
संवदिया प्रकाशन, अररिया, बिहार द्वारा कोसी अंचल के वरिष्ठ कवि, कथाकार श्री भोला पंडित 'प्रणयी' के प्रधान संपादन में 'संवदिया' नामक त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन पिछले पॉंच सालों से हो रहा है। आरंभ से ही पत्रिका के हर अंक में कोसी अंचल के किसी महत्वपूर्ण दिवंगत लेखक का परिचय, फोटो और उसके कृतित्व का आकलन करनेवाले लेख छापे जाने की परंपरा का निर्वाह इस पत्रिका ने निरंतर किया है।
'संवदिया' का अक्तूबर-दिसंबर 2009 का अंक कोसी केन्द्रित नवलेखन अंक है। इस अंक के साथ ही पत्रिका ने अपने छठे वर्ष में प्रवेश किया है। यह विशेषांक साहित्य अकादेमी में कार्यरत कोसी अंचल के युवा कवि-आलोचक देवेन्द्र कुमार देवेश के अतिथि संपादन में प्रकाशित हुआ है। अपने संपादकीय में उन्होंने लिखा है-इस अंक को केवल पिछले कुछेक सालों में कलम पकड़कर उत्साहपूर्वक लेखन की ओर प्रवृत्त होनेवाले नवातुर नवतुरिया लेखकों पर ही न केन्द्रित करके बीसवीं सदी के अंतिम दशक में हिन्दी साहित्य के समकालीन परिदृश्य पर कुछ हद तक अपनी पहचान बना चुकी कोसी अंचल की नई पीढ़ी पर केन्द्रित किया गया है। साथ ही इसमें इसमें इक्कीसवीं सदी के प्रथम दशक में लेखन की दुनिया में कदम रखनेवाली पीढ़ी को भी स्थान दिया गया है।
संपादकीय में कोसी अंचल की साहित्य परंपरा का संक्षिप्त अवगाहन प्रस्तुत करते हुए इसे सिद्ध कवि सरहपा, रीति कवि जयगोविन्द महाराज, सूफी कवि शेख किफायत, भक्त कवि लक्ष्मीनाथ परमहंस और संत कवि मेंहीं की भूमि बताया गया है, जिसे अनूपलाल मंडल, जनार्दन प्रसाद झा द्विज, फणीश्वरनाथ रेणु, राजकमल चौधरी और लक्ष्मीनारायण सुधांशु जैसे हिन्दी लेखकों ने भी अपनी ख्याति से प्रकाशित किया।
इस अंक में पंद्रह कवियों की कविताऍं, पॉंच कथाकारों की कहानियॉं और पुस्तक समीक्षाऍं प्रकाशित की गई हैं। कवियों के नाम हैं-अरविन्द श्रीवास्तव, कल्लोल चक्रवर्ती, श्याम चैतन्य, कृष्णमोहन झा, उल्लास मुखर्जी, राजर्षि अरुण, शुभेश कर्ण, राकेश रोहित, हरे राम सिंह, देवेन्द्र कुमार देवेश, पंकज चौधरी, स्मिता झा, अनुप्रिया, अरुणाभ सौरभ और कुमार सौरभ। कविताओं पर हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि-आलोचकों डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी और डॉ. सुरेन्द्र स्निग्ध की टिप्पणियॉं प्रकाशित की गई हैं।
अंक में संजीव ठाकुर, संजय कुमार सिंह, रणविजय सिंह सत्यकेतु, श्रीधर करुणानिधि और उमाशंकर सिंह की कहानियॉं हैं, जिनपर डॉ. ज्योतिष जोशी और डॉ. देवशंकर नवीन की टिप्पणियॉं छापी गई हैं। यह अंक ओमप्रकाश भारती के आलेख और देवांशु वत्स की लघुकथाओं से भी सुसज्जित है।
'संवदिया' का आगामी अंक भी नवलेखन विशेषांक के रूप में निकालने की घोषणा की गई है, जिसमें शामिल होनेवाले 15 कवियों, 5 कथाकारों के नामों की घोषणा भी इस अंक में की गई है। संवदिया के इस अंक का मूल्य 30 रुपये है, जबकि इसकी वार्षिक सदस्यता 80 रुपये मात्र है। पत्रिका की प्रति अथवा सदस्यता के लिए निम्नांकित पते संपर्क किया जा सकता है- श्री भोला पंडित प्रणयी, संवदिया प्रकाशन, जयप्रकाश नगर, वार्ड नं. 7, अररिया, बिहार 854311,
मोबाइल नं.9931223187, ई-मेल : samvadiapatrika@yahoo.com
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment