हजारों वर्षों से जिस नदी की धाराएँ निरंतर परिवर्तनशील रही हैं, उस नदी की धाराओं के साथ गतिशील जीवन-जगत की अनुभूतियों का अवगाहन साहित्य के माध्यम से किया जाना सचमुच न केवल दिलचस्प वरन् महत्त्वपूर्ण भी है। लेकिन विध्वंसकारी कोसी ने अपने तटवर्ती जीवन-जगत के साथ संभवत: अधिकांश साहित्यिक विरासत को भी प्राय: निगलने का काम ही किया है। कोसी अंचल के निकटवर्ती नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के विध्वंस (1197 ई.) के कारण भी इस क्षेत्र की ज्ञान और साहित्य विषयक विरासत नष्ट हुई होगी।
Wednesday, August 25, 2010
कोसी की दग्ध अंतर-कथा
हाल ही में कर्नल अजित दत्त के शोधपूर्ण आलेखों का संग्रह 'कोसी की दग्ध अंतर-कथा' के नाम से संवदिया प्रकाशन, अररिया से प्रकाशित हुआ है। इस पुस्तक में कुल 16 लेख संकलित हैं, जिनमें कोसी नदी और अंचल से जुड़ी ऐतिहासिक, पौराणिक, मिथकीय और समसामयिक विषय-वस्तुओं और संदर्भों का रोचक प्रस्तुतीकरण किया गया है। लेखक के अनुभवों और ज्ञान से पाठक अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकता। ये लेख लोक साहित्य और संस्कृति के विस्मृत पहलुओं को भी सामने लाते हैं। कुछ महत्वपूर्ण विषय हैं--भगैत गायन, लोक देव, लोक देवियॉं, ईलोजी, सुल्तान माई, परवाहा युद्ध, फरमान नदी, कोसी नदी, वीरनगर विसहरिया, बल्िदयाबाड़ी का युद्ध, सिंहेश्वर थान, कोसी अंचल की ऐतिहासिक धरोहरें।
कर्नल अजित दत्त का जन्म 18 जुलाई, 1948 ई. को कोसी अंचल के मधेपुरा जिलांतर्गत हनुमान नगर में हुआ। आपकी प्रारंभिक शिक्षा ली एकेडमी, फारबिसगंज में हुई, बाद में आपने पटना विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। आपने 1971 ई. में कमीशंड ऑफिसर के रूप में भारतीय सेना में अपने कार्यजीवन की शुरुआत की और बाद में पैराशूटिंग फोर्स के लिए चुन लिए गए, फिर एलीट स्ट्राइक फोर्स से जुड़े और लखनऊ के एडमिनिस्ट्रेटिव कंमांडेंट के रूप में कार्य किया। पर्वतारोहण आपका खास शौक रहा और भारत एवं विदेशों में आपने दो दर्जन से अधिक अभियानों में सफल भागीदारी की।
कर्नल दत्त की उपलब्धियों में भारत के राष्ट्रपित द्वारा सेना मेडल सम्मान (गैलेंट्री)-1992, चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ्स कमांडेशन कार्ड'1976 एवं 1996 तथा जनरल दौलत सिंह ट्रॉफी अवार्ड-1986 शामिल हैं। आप रॉयल ज्योग्राफिकल सोसायटी, लंदन के फेलो (1991) रहे और बार्सीलोना (स्पेन) एवं नेवादा (अमेरिका) में क्रमश: 1991 एवं 1992 में आयोजित इंटरनेशनल मीट ऑफ यू.आई.ए. माउंटेनियरिंग कमीशन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। आपने हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, दार्जीलिंग (मई 1990-फरवरी 1995) तथा नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग, उत्तरकाशी (मई 1997-नवंबर 2000) के प्रिंसिपल के रूप में भी कार्य किया। आप पश्चिम बंगाल सरकार के मानद वाइल्ड लाइफ वार्डन हैं। आपने पर्वतारोहण के उद्देश्य से स्विटजरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, नेपाल और भूटान देशों की यात्रा की है।
कर्नल अजित दत्त ने अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना की है। आपके आलेख प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहे हैं। आपकी अन्य प्रकाशित पुस्तकें हैं--अंग्रेजी में--कॉल ऑफ द वैली (Call of the valley, 1991), ब्रेव शेरपाज (Brave Sherpas, 1993), क्लाइंबिंग एडवेंचर इन अरुणाचल (Climbing adventure in Arunachal, 1994), फर्स्ट क्लाइंब ऑफ माउंट मुकुट ईस्ट (First climb of Mount Mukut East, 1999), फारबिसगंज जंक्शन (Forbeseganj Junction, 1998), दस स्पोक नचिकेता (Thus spoke Nachiketa, 2000) तथा हिन्दी में--नचिकेता उवाच (2000) एवं अभियान कथा (2005)।
उक्त पुस्तक प्राप्त करने के लिए निम्नांकित पते पर संपर्क किया जा सकता है :
संवदिया प्रकाशन, जयप्रकाश नगर, वार्ड नं. 7, अररिया, बिहार 854311,
ई-मेल : samvadiapatrika@yaoo.com
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महत्वपूरण जानकारी देने के लिए धन्यवाद्|
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
देवेन्द्र जी स्वागत है ब्लॉगजगत में...
ReplyDeleteशुभकमनायें
चन्दर मेहेर
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
ब्लॉगजगत में स्वागत शुभकमनायें
ReplyDeletebeautifully written !
ReplyDeletecongrats n welcome !
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई
ब्लाग जगत में आपका स्वागत है
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
nice..
ReplyDeleteA Silent Silence : Shamma jali sirf ek raat..(शम्मा जली सिर्फ एक रात..)
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