Tuesday, October 26, 2010

नदियॉं गाती हैं : कोसी-केन्‍द्रित अध्‍ययन


'नदियॉं गाती हैं' प्रतिष्‍ठित लोकसाहित्‍य अध्‍येता डॉ. ओमप्रकाश भारती की प्रथम पुस्‍तक है, जिसका पहला संस्‍करण 2001 ई. में और द्वितीय संस्‍करण 2009 ई. में धरोहर (साहिबाबाद, गाजियाबाद) से प्रकाशित हुआ है। इस पुस्‍तक में भारती जी ने कोसी नदी का लोकसांस्‍कृतिक अध्‍ययन प्रस्‍तुत किया है। इस क्रम में उन्‍होंने कोसी नदी और अंचल से संबंधित भूगोल, इतिहास, समाज और लोकसाहित्‍य का विवेचन प्रस्‍तुत करते हुए कोसी नदी से संबंधित पचास लोकगीतों को संगृहीत किया है। पुस्‍तक में ई. टी. प्रीडो द्वारा संकलित और 'मेन इन इंडिया' में 1943 ई; में प्रकाशित कोसी गीतों के अंग्रेजी भावांतर भी शामिल किए गए हैं।
पुस्‍तक की प्रस्‍तावना प्रतिष्‍ठित विद्वान कोमल कोठारी ने लिखी है, जबकि अपनी भूमिका में डॉ. भारती ने सृजन की संवेदना पर बात करते हुए लोक साहित्‍य के प्रति अपने समर्पण को ही रेखांकित किया है। पुस्‍तक के प्रारंभिक छह अध्‍याय हैं--'कोसी नदी का भौगोलिक स्‍वरूप', 'कोसी : मिथ और लोक इतिहास', 'कोसी के लोगों का पारंपरिक ज्ञान', कोसीनदी गीतों का समाजशास्‍त्रीय पक्ष', 'कोसी नदी के गीतों का पुरासंगीतशास्‍त्रीय स्‍वरूप' तथा 'कोसी नदी के गीतों का संगीतशास्‍त्रीय स्‍वरूप'। सातवें अध्‍याय के रूप में भारती जी ने गीतों की खोज में भटकते हुए एक संस्‍मरण और रिपोर्ताज प्रस्‍तुत किया है। आठवें अध्‍याय के अंतर्गत तीन त्रासद और मार्मिक संस्‍मरणों की प्रस्‍तुतियॉं हैं। पुस्‍तक के परिशिष्‍ट में कोसी नदी से जुड़े कुछ नक्‍शे और छायाचित्र भी सम्‍मिलित हैं।

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